चाटुकारिता का रस !!
चाटुकारिता शब्दावली का कोई नया शब्द नही है बल्कि पुराने समय से चली आ रही एक रोगी अवस्था है जिसमे इंसान की सारी सुध-बुध केवल एक ही बात पर निर्भर करती है कि किस तरह से पात्र से बंधे रहे, पात्र से मतलब स्वामी है जिसके लिए चाटुकारिता की जा रही है। जैसे जैसे समय बदला है वैसे वैसे इसके मायने भी बदले है, किसी समय में एक निश्चित स्वार्थ के लिए चाटूकारिता की जाती थी पर आज के समय मे इसका कुछ और महत्व बन गया है, अब स्वार्थ के अलावा हानि पहुचना ज्यादा महत्वपूर्ण हो गया है। पहले केवल स्वामी के विस्वास के लिए बातो में चाटूकारिता रस का स्वाद डाल कर चाटूकारिता की जाती थी, अब ये ऐसी अवस्था मे है कि अगर किसी का सबकुछ खत्म हो भी हो जाय तो चाटुकारो को कोई फर्क नही पड़ता है और पूरे तन मन से ये कार्य किया जाता है। आज के समय मे आपके ज्ञान या गुणवत्ता का कोई महत्व नही है, हा अगर आपके अंदर चाटुकारी का गुण है तो आपको किसी और गुण की आवश्यकता नही है। आज कुछ बड़े बड़े राजनीतिक व निजी संगठन एवं संस्थान अपने अस्तित्व को बचाने के लिए कार्यरत है, वो हर तरह से विश्लेषण कर रहे है कि आखरी ऐसा क्या हुआ है की संगठन में जिसके ...